आज हम देख रहे कि वाट्सब पर रोज बुद्धि जीवियों की बहस चल रही है जाति पर बड़ा दुख होता है कि हम समाज व परिवार को आगे बढ़ाएंगे या पीछे ले जा रहे है हम जो भी शुरू से हमारे नाम के आगे लगाते आ रहे वही चलने दे केवल बहस करने से समाज का कोई भला नही हने वाला है इसको कुछ लोगो ने मुद्दा बना कर रख दिया इसिलए मेने आजकल वाट्सब पर समाज के बारे में लिखना कम कर दिया है क्योकि बुद्धि जीवियों के सामने में क्या लिख सकता हु फिर रोज बहस होते देख मन को पीड़ा हुई है हम कहा ले जा रहे समाज को यही समझ मे नही आ रहा है समाज के मठाधीशों भी कोई चिंता नही है क्योकि उनकी कुर्सी सही सलामत रहे बस इसकी फिकर है इसलिए समाज का परिवेश बदलो ओर परिवार एव समाज में सामंजस्य कैसे हो एकता कैसे हो इस पर विचार करो बहस से सिर्फ समाज एव परिवार का विघटन होता है एकता नही होती है मेरी बात कड़वी जरूर लगेगी लेकिन समाज हित मे होगी क्योकि बुद्धि का उपयोग भी सही ठंग से इस्तेमाल करना चाहिए कई अहंकार भरी बुद्धि कहि बार सर्वनाश कर देती है सहज और सरल बनिये ओर समाज एव परिवार का हित सोचिए
हम राम जी के राम जी हमारे है
डॉ सुनील राठौर उज्जैन
समाज एव परिवार के परिवेश को समझें