जेएनयू में स्टूडेंट्स के मुद्दे

विरोध प्रदर्शनों के लिए चर्चित या कहें बदनाम दिल्ली का जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल, एक महीने के भीतर सोमवार को लगातार दूसरा मौका है, जब हजारों की संख्या में जेएनयू छात्र-छात्राएं सड़क पर उतरकर फीस और हॉस्टल वृद्धि के खिलाफ और कई अन्य मांगों को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। आइए 5 प्वाइंट्स में जाने आखिर क्या है पूरा मामला।


1. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ड्रेस कॉलेज लागू हुआ था, छात्र इसके खिलाफ भड़के हुए थे। उनका कहना है कि जेएनयू प्रशासन का यह निर्णय मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ थे। यह अलग बात है कि अब हॉस्टल में आने-जाने के समय पर पाबंदी को हटा दिया गया है। साथ ही यह भी तय किया गया है कि छात्र-छात्राओं को रात 11 बजे तक अपने-अपने हॉस्टल में वापस लौटना होगा। छात्र-छात्राएं इसका विरोध कर रहे हैं।


2. पिछली बार हुए प्रदर्शन के बाद फीस बढ़ोतरी में कमी की गई। इसके तहत फीस में 50 फीसद की कमी तो की गई, लेकिन यह सिर्फ बीपीएल छात्र-छात्राओं के लिए हैं। छात्रों का यह भी कहना है कि बीपीएल की फीस को लेकर क्या स्लैब होगा यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है।


3. छात्रों का कहना है कि जेएनयू प्रशासन ने सिर्फ मेस सिक्यॉरिटी 12000 रुपये से घटकर 5500 रुपये की है, जो वैसे भी वापस हो जाती है। छात्र इससे भी नाराज हैं।


4. यूनिवर्सिटी के नए नियमों के मुताबिक हॉस्टल फीस में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके तहत सिंगल सीटर रूम का किराया 20 रुपये प्रतिमाह से बढ़कर 600 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।


5. जेएनयू प्रशासन ने डबल सीटर रूम का किराया 10 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 300 रुपये प्रतिमाह कर दिया है। छात्रों का कहना है कि यूटिलिटी चार्ज और सर्विस चार्ज  की वजह से ही फीस में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जो छात्रों के हित में नहीं है।


6. जेएनयू प्रशासन ने प्रत्येक महीने हॉस्टल में रह रहे छात्र-छात्राओं से मेंटेनेंस के लिए 1700 रुपये शुल्क लेने का फैसला लिया है। यह रकम हर महीने देनी होगी। इससे छात्रों में सबसे ज्यादा नाराजगी है। पूर्व में पानी, बिजली, रख रखाव और सफाई के नाम पर पैसे नहीं वसूले जाते थे। यह रकम इतना ज्यादा है कि कुछ छात्र-छात्राओं का कहना है कि यह रकम नहीं घटी तो हम पढ़ाई तक छोड़नी पड़ेगी